Ken Betwa Link Pariyojna

Ken Betwa Link Pariyojna

   Kautilya Academy    16-06-2022

केन बेतवा लिंक परियोजना 2 नदियाँ, केन नदी और बेतवा नदी को जोड़ने की परियोजना है, जिसमें जरूरत से ज्यादा पानी केन नदी से बेतवा नदी में पहुँचाया जाएगा। 

आखिर इन दोनों नदियों को लिंक करने की क्या जरूरत पड़ रही है?

इसके पीछे क्या उद्देश्य है?

सारी जानकारी आपको नीचे मिल जाएगी। 

 

इन नदियों की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी:-

केन नदी, विंध्याचल पर्वत श्रेणी के अंतर्गत कटनी जिले की रीठी तहसील में कैमूर की पहाड़ियो से निकलकर, पन्ना टाइगर रिजर्व से होते हुए यमुना नदी में मिल जाती है, वहीं बेतवा नदी विंध्याचल पर्वत की घोड़ीदंत पहाड़ी अंतर्गत रायसेन जिले के कुम्हारा गाँव (झिरी गाँव) से निकलकर यमुना से संगम करती है। बेतवा नदी को बुंदेलखंड की जीवन रेखा यानी लाइफलाइन भी कहा जाता है।

 

केन-बेतवा को लिंक क्यों किया जायेगा?

भारत में 80% बारिश सिर्फ 4 महीनों में हो जाती है, जिसका परिणाम ये होता है कि कहीं तो बाढ़ की स्थिति बनती है जबकि कहीं सूखे की नौबत आ जाती है। इसी वाटर इंबैलेंस को बैलेंस करने के लिए परियोजना को लाया जा रहा है, ताकि जहां डिमांड से ज्यादा पानी की आपूर्ति हो उसे शिफ्ट किया जा सके। और पूरे साल बारिश के पानी को सभी तक पहुंचाया जा सके। 

इस लिंक परियोजना का मुख्य उद्देश्य:-

 

इस परियोजना के तहत बुंदेलखंड के सूखे ग्रस्त इलाकों को पानी की आपूर्ति करना है जिसमे झांसी, ललितपुर, महोबा, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ आदि जिले शामिल हैं।

इसके तहत लगभग 6 लाख हेक्टेयर की जमीन को सिंचाई कर कृषि उत्पादन को बढ़ाना है। जिससे बुंदेलखंड के किसानों को कुछ हद तक पानी की समस्या से जूझना कम हो सकेगा। 

इस परियोजना से 60 लाख से ज्यादा लोगों को पीने योग्य पानी पहुँचाया जाएगा।

परियोजना के क्रियान्वयन के दौरन स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे

 

भारत सरकार ने विश्व जल दिवस पर 22 मार्च 2021 को एक कदम आगे बढ़ाते हुए  केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को मंजूरी दी। इसी समय मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच केन बेतवा रिवर इंटरलिंकिंग प्रोजेक्ट को क्रियान्वित करने के लिए 1 एतिहासिक समझौता किया गया।

 

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की समस्या:-

 

पर्यावरणविद् की सबसे महत्वपूर्ण चिंता ये है कि दौधन बांध जो की बेतवा नदी पर बनने जा रहा है उसमें 9000 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाएगी, जिसमें से लगभाग 5800 हेक्टेयर महत्वपूर्ण बाघ आवास, पन्ना टाइगर रिजर्व का भाग है।

बांध की ऊंचाई 77 मीटर है जिससे वहां आसपास क्षेत्र के गंभीर रूप से संकटग्रस्त गिद्धों के घोंसले के शिकार स्थल प्रभावित हो सकते हैं।

दौधन या मकोदिया बांध के बनने की वजह से लगभग 20,000 लोगों को विस्थापित करना पडेगा, जिससे पुनर्वास की समस्या पैदा हो जाएगी। 

 

निष्कर्ष: 

हालांकि इस परियोजना से बुंदेलखंड को पीने का पानी, बिजली, सिंचाई सुविधा मिलेगी और किसानों का कृषि उत्पादन बढ़ेगा, आय बढ़ेगी, लेकिन वहीं दूसरी तरफ सामाजिक व पर्यावरण पर इसके विपरीत प्रभाव भी देखने को मिलेंगे। इसलिए सरकार को कुछ ऐसा रास्ता निकालना चाहिए जिससे कि पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव कम से कम रहें और सामाजिक जीवन भी अस्त व्यस्त न हो।


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