एम.पी.पी.एस.सी. FAQs

एम.पी.पी.एस.सी. FAQs

   Kautilya Academy    06-09-2019

एम.पी.पी.एस.सी. FAQs

प्रश्न – 1 : एम.पी.पी.सी.एस. प्रारंभिक परीक्षा में द्वितीय प्रश्नपत्र (सीसैट) के क्वालिफाइंग होने का क्या अर्थ है?
उत्तर: एम.पी.पी.सी.एस. प्रारंभिक परीक्षा में द्वितीय प्रश्नपत्र ‘सीसैट’ जिसे ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ के नाम से जाना जाता है, के क्वालिफाइंग होने का अर्थ है कि इसमें न्यूनतम 40% अंक प्राप्त करना अनिवार्य है चूँकि इस प्रश्नपत्र में प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं अधिकतम अंक 200 निर्धारित है। अत: अभ्यर्थियों को अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिये इस प्रश्नपत्र में न्यूनतम 80 अंक या उससे अधिक अंक प्राप्त करने अनिवार्य होंगे।
इस प्रश्नपत्र में 80 अंक से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों के प्रथम प्रश्नपत्र की कॉपी का मूल्यांकन ही नहीं किया जाता है, इसलिये प्रथम प्रश्नपत्र में चाहे जितना भी अच्छा प्रदर्शन किया गया हो द्वितीय प्रश्नपत्र में क्वालिफाइंग अंक प्राप्त करना अनिवार्य है।
आयोग द्वारा सामान्य श्रेणी एवं राज्य के बाहर के अभ्यर्थियों के लिये यह न्यूनतम अर्हकारी अंक 40% तथा राज्य के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग एवं विकलांग श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिये न्यूनतम 30% निर्धारित किया गया है।

प्रश्न – 2 : प्रारंभिक परीक्षा के दौरान प्रश्नों का समाधान किस क्रम में करना चाहिये? क्या किसी विशेष क्रम से लाभ होता है?

उत्तर : प्रारंभिक परीक्षा के दौरान प्रश्नों के समाधान के क्रम को लेकर ज्यादातर अभ्यर्थियों में भ्रम की स्थिति बनी रहती है। इस परीक्षा में प्रश्नों को किस क्रम में हल किया जाये? इसका उत्तर सभी के लिये एक नहीं हो सकता। अगर आप सामान्य अध्ययन एवं सीसैट के सभी विषयों में सहज हैं और आपकी गति भी संतोषजनक है तो आप किसी भी क्रम में प्रश्न हल करके सफल हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में बेहतर यही होता है कि जिस क्रम में प्रश्न आते जाएँ, उसी क्रम में उन्हें हल करते हुए बढ़ें। किन्तु अगर आपकी स्थिति इतनी सुरक्षित नहीं है तो आपको प्रश्नों के क्रम पर विचार करना चाहिये। ऐसी स्थिति में आप सबसे पहले, उन प्रश्नों को हल करें जो सबसे कम समय लेते हैं।
यदि आपकी मध्य प्रदेश राज्य विशेष के सन्दर्भ में पकड़ अच्छी है तो आपको इससे सम्बंधित पूछे जाने वाले 20-25 प्रश्नों को पहले हल कर लेना चाहिये क्योंकि उनमें समय कम लगेगा और उत्तर ठीक होने की संभावना भी ज़्यादा होगी। ये 20-25 प्रश्न हल करने के बाद आपकी स्थिति काफी मजबूत हो चुकी होगी। इसके बाद, आप तेज़ी से वे प्रश्न करते चलें जिनमें आप सहज हैं और उन्हें छोड़ते चलें जो आपकी समझ से परे हैं। जिन प्रश्नों के संबंध में आपको लगता है कि वे पर्याप्त समय मिलने पर हल किये जा सकते हैं, उन्हें कोई निशान लगाकर छोड़ते चलें।
सीसैट के प्रश्नपत्र में भी यही प्रक्रिया अपनायी जा सकती है। अर्थात उन प्रश्नों को पहले हल कर लेना चाहिये जिसमें समय कम लगता हो और उत्तर ठीक होने की संभावना ज़्यादा होती है।
एक सुझाव यह भी हो सकता है कि एक ही प्रकार के प्रश्न लगातार करने से बचें। अगर आपको ऐसा लगे तो बीच में आधारभूत संख्यनन के कुछ सवाल कर लें, उसके बाद अन्य प्रश्नों को हल करें। सरल से कठिन प्रश्नों की ओर बढ़ने की यह प्रक्रिया दोनों प्रश्नपत्रों को हल करते समय अपनायी जा सकती है। चूँकि इस परीक्षा में किसी भी प्रकार के ऋणात्मक अंक का प्रावधान नहीं है इसलिये किसी भी प्रश्न को अनुत्तरित न छोड़ें और अंत में शेष बचे हुए प्रश्नों को अनुमान के आधार पर हल करने का प्रयास करें।

प्रश्न – 3 : परीक्षा में समय-प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है, उसके लिये क्या किया जाना चाहिये?

उत्तर :  पिछले प्रश्न के उत्तर में दिये गए सुझावों पर ध्यान दें। उसके अलावा, परीक्षा से पहले मॉक-टेस्ट शृंखला में भाग लें और हर प्रश्नपत्र में परीक्षण करें कि किस वर्ग के प्रश्न कितने समय में हो पाते हैं। ज़्यादा समय लेने वाले प्रश्नों को पहले ही पहचान लेंगे तो परीक्षा में समय बर्बाद नहीं होगा। बार-बार अभ्यास करने से गति बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न – 4 : ‘कट-ऑफ’ क्या है? इसका निर्धारण कैसे होता है?

उत्तर : ‘कट-ऑफ’ का अर्थ है- वे न्यूनतम अंक जिन्हें प्राप्त कर के कोई उम्मीदवार परीक्षा में सफल हुआ है। एम.पी.पी.एस.सी. परीक्षा में हर वर्ष प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा तथा साक्षात्कार के परिणाम में ‘कट-ऑफ’ तय की जाती है। ‘कट-ऑफ’ या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार सफल घोषित किये जाते हैं और शेष असफल। आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत यह कट-आॉफ भिन्न-भिन्न वर्गों के उम्मीदवारों के लिए भिन्न-भिन्न होती हैं।
प्रारंभिक परीक्षा में ‘कट-ऑफ’ का निर्धारण प्रथम प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन के अंकों के आधार पर किया जाता है, क्योंकि द्वितीय प्रश्नपत्र सीसैट केवल क्वालिफाइंग होता है।
‘कट-ऑफ’ की प्रकृति स्थिर नहीं है। इसमें हर साल उतार-चढ़ाव होता रहता है। इसका निर्धारण सीटों की संख्या, प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर तथा उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता जैसे कारकों पर निर्भर करता है।  अगर प्रश्नपत्र सरल होंगे, या उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता ऊँची होगी तो कट-ऑफ बढ़ जाएगा और विपरीत स्थितियों में अपने आप कम हो जाएगा।
कुछ लोग कहते हैं कि सीसैट के प्रश्नपत्र में क्वालिफाइंग अंक से अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को वरीयता दी जाती है जबकि कम अंक प्राप्त करने वाले परीक्षा से बाहर हो जाते हैं। वस्तुतः ये दोनों बातें भ्रामक हैं। ऐसी अफवाहों पर आपको ध्यान नहीं देना चाहिये।

प्रश्न – 5 : मैं शुरू से गणित में कमज़ोर हूँ, क्या मैं सीसैट में सफल हो सकता हूँ?

उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। सीसैट के 100 प्रश्नों में से गणित के अधिकतम 15-20 प्रश्न पूछे जाते हैं और उनमें से भी आधे प्रश्न तर्कशक्ति (रीजनिंग) के होते हैं। इन प्रश्नों की प्रकृति साधारण होती है अत: थोड़ा प्रयास करने से हल हो जाते हैं। हो सके तो गणित में कुछ ऐसे टॉपिक्स तैयार कर लीजिये जो आपको समझ में आते हैं और जिनसे प्रायः सवाल भी पूछे जाते हैं। उदाहरण के लिये, अगर आप प्रतिशतता और अनुपात जैसे टॉपिक्स तैयार कर लेंगे तो गणित के 3-4 प्रश्न ठीक हो जाएंगे। ऋणात्मक अंक के निर्धारित न होने से आप कुछ प्रश्न अनुमान से भी सही कर सकते हैं।

प्रश्न – 6 : एम.पी.पी.एस.सी. की प्रारम्भिक परीक्षा में ‘मध्य प्रदेश राज्य विशेष’ के सन्दर्भ में कितने प्रश्न पूछे जाते हैं? इसकी तैयारी कैसे करें?

उत्तर : एम.पी.पी.एस.सी. की प्रारम्भिक परीक्षा में ‘मध्य प्रदेश राज्य विशेष’ के सन्दर्भ में लगभग 20-25 प्रश्न पूछे जाते हैं। सामान्य अध्ययन के इस प्रश्नपत्र में कुल 100 प्रश्नों में से 20-25 प्रश्न केवल मध्य प्रदेश राज्य विशेष के सन्दर्भ में पूछा जाना इस विषय की महत्ता को स्वयं ही स्पष्ट करता है। मध्य प्रदेश राज्य विशेष’ के सन्दर्भ में मध्य प्रदेश का इतिहास, कला एवं  संस्कृति तथा भूगोल के साथ-साथ यहाँ की राजनीति एवं अर्थव्यवस्था पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसी प्रकार प्रारम्भिक परीक्षा के पूरे पाठ्यक्रम का मध्य प्रदेश राज्य के सन्दर्भ में अध्ययन करना लाभदायक रहता है। मध्य प्रदेश राज्य विशेष से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने में मध्य प्रदेश सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘मध्य प्रदेश राज्य विशेष’ या बाजार में उपलब्ध किसी मानक राज्य स्तरीय पुस्तक का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।

प्रश्न – 7 : क्या ‘मॉक टेस्ट’ देने से प्रारम्भिक परीक्षा में कोई लाभ होता है? अगर हाँ, तो क्या ?

उत्तर : 

  • प्रारम्भिक परीक्षाओं के लिये मॉक टैस्ट देना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है। इसका पहला लाभ है कि आप परीक्षा में होने वाले तनाव (Anxiety) पर नियंत्रण करना सीख जाते हैं।
  • दूसरे, अलग-अलग परीक्षाओं में आप यह प्रयोग कर सकते हैं कि प्रश्नों को किस क्रम में करने से आप सबसे बेहतर परिणाम तक पहुँच पा रहे हैं। इन प्रयोगों के आधार पर आप अपनी परीक्षा संबंधी रणनीति निश्चित कर सकते हैं।
  • तीसरे, समय प्रबंधन की क्षमता बेहतर होती है।
  • चौथा लाभ है कि आपको यह अनुमान होता रहता है कि अपने प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में आपका स्तर क्या है?
  • ध्यान रहे कि ये सभी लाभ तभी मिलते हैं अगर आपने मॉक टेस्ट शृंखला का चयन भली-भाँति सोच-समझकर किया है।

 

प्रश्न – 8 : मैं हिंदी व्याकरण में शुरू से ही अपने को असहज महसूस करता हूँ, क्या मैं एम.पी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में सफल हो पाऊँगा?

उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। मुख्य परीक्षा का पंचम प्रश्नपत्र भाषागत ज्ञान से सम्बंधित है जिसमें ‘सामान्य हिंदी’ के संबंध में कुल 200 अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर आयोग द्वारा दी गयी उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है। इसमें ‘सामान्य हिंदी’ का प्रश्नपत्र स्नातक स्तर का होता है। इसके पाठ्यक्रम में पल्लवन, संधि, समास, संक्षेपण, प्रारूप लेखन, वाक्य प्रयोग, शब्दावली तथा प्रारंभिक व्याकरण, अपठित गद्यांश, प्रतिवेदन एवं अनुवाद शामिल है। सच यह है कि हिंदी व्याकरण के ये प्रश्न काफी आसान होते हैं जिसमें एक सामान्य अभ्यर्थी भी नियमित अभ्यास करके औसत अंक प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न – 9 : मैं अंग्रेज़ी में शुरू से ही कमजोर हूँ, क्या मैं एम.पी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में सफल हो पाऊँगा?

उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। मुख्य परीक्षा का पंचम प्रश्नपत्र भाषागत ज्ञान से सम्बंधित है, जिसमें कुल 200 अंक के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर आयोग द्वारा दी गई उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है। इस प्रश्नपत्र में केवल 20 अंकों वाले अनुवाद खंड में अंग्रेजी के ज्ञान की आवश्यकता होती है (शेष 180 अंक के प्रश्न सामान्य हिंदी से सम्बंधित होते हैं)। इसमें दिये गए वाक्य/गद्यांश का अंग्रेजी से हिंदी एवं हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद करना होता है। सच तो यह है कि ये वाक्य/गद्यांश काफी आसान भाषा में दिये गए होते हैं और एक सामान्य विद्यार्थी भी इसका नियमित अभ्यास करके अच्छा अनुवाद कर सकता हैं।

प्रश्न – 10 : क्या सभी प्रश्नों के उत्तर को ओ.एम.आर. शीट पर एक साथ भरना चाहिये या उत्तर का चयन करने के साथ-साथ भरते रहना चाहिये?

उत्तर : प्रश्नों को हल करना जितना महत्त्वपूर्ण है उतना ही महत्त्वपूर्ण उसे ओ.एम.आर. शीट पर भरना है। बेहतर होगा कि 4-5 प्रश्नों के उत्तर निकालकर उन्हें शीट पर भरते जाएँ। हर प्रश्न के साथ उसे ओ.एम.आर. शीट पर भरने में ज़्यादा समय खर्च होता है। दूसरी ओर, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कई उम्मीदवार अंत में एक साथ ओ.एम.आर. शीट भरना चाहते हैं पर समय की कमी के कारण उसे भर ही नहीं पाते। ऐसी दुर्घटना से बचने के लिये सही तरीका यही है कि आप 4-5 प्रश्नों के उत्तरों को एक साथ भरते चलें। सीसैट के प्रश्नों में प्रायः एक अनुच्छेद या सूचना के आधार पर 5-6 प्रश्न पूछे जाते हैं। ऐसी स्थिति में वे सभी प्रश्न एक साथ कर लेने चाहिये और साथ ही ओ.एम आर. शीट पर भी उन्हें भर दिया जाना चाहिये। चूँकि गोलों को केवल काले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है, अत: उन्हें भरते समय विशेष सावधानी रखें। व्हाइटनर का प्रयोग कदापि न करें।

प्रश्न – 11 : एम.पी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में ‘हिन्दी निबंध लेखन’ के प्रश्नपत्र की क्या भूमिका है? इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये क्या रणनीति अपनायी जानी चाहिये?

उत्तर : इस मुख्य परीक्षा का षष्ठम प्रश्नपत्र ‘हिन्दी निबंध लेखन’ से सम्बंधित है जिसमें कुल 100 अंकों के तीन निबंध पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर आयोग द्वारा दिये गए उत्तर-पुस्तिका में अधिकतम दो घंटे की समय सीमा में लिखना होता है। एम.पी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में कुल 1400 अंकों में हिंदी निबंध के लिये 100 अंकों का निर्धारित होना इस विषय की महत्ता एवं अंतिम चयन में सहभागिता को स्वयं ही स्पष्ट करती है।
निबंध लेखन के माध्यम से किसी व्यक्ति की मौलिकता एवं व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है। वास्तव में निबंध लेखन एक कला है जिसका विकास एक कुशल मार्गदर्शन में सतत अभ्यास से किया जा सकता हैं। पूर्व में निबंध के लिये बाज़ार में कोई स्तरीय पुस्तक उपलब्ध नहीं होने के कारण इसके लिये अध्ययन सामग्री की कमी थी। लेकिन हाल ही में कौटिल्य एकडेमी द्वारा प्रकाशित  पुस्तक ने इस कमी को दूर कर दिया है। इस पुस्तक में लिखे गए निबंध न केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से श्रेणी के अनुसार विभाजित हैं बल्कि प्रत्येक निबंध की भाषा-शैली एवं अप्रोच स्तरीय है। इसके अतिरिक्त इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये आप परीक्षा से पूर्व इससे सम्बंधित किसी मॉक टेस्ट शृंखला में सम्मिलित हो सकते हैं।

प्रश्न – 12 : एम.पी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस परीक्षा में साक्षात्कार की क्या भूमिका है? इसकी तैयारी कैसे करें?

उत्तर : वर्ष 2014 में एम.पी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 175 अंक निर्धारित किया गया (पूर्व में यह 250 अंकों का होता था) है। चूँकि मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर ही अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है, इसलिये इस परीक्षा में अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में साक्षात्कार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। एम.पी.पी.एस.सी. के साक्षात्कार में आप सामान्य परिस्थितियों में न्यूनतम 70 अंक तथा अधिकतम 125 अंक प्राप्त कर सकते हैं। यद्यपि साक्षात्कार इस परीक्षा का अंतिम चरण है, लेकिन इसकी तैयारी प्रारंभ से ही शुरू कर देना लाभदायक रहता है। वास्तव में किसी भी अभ्यर्थी के व्यक्तित्व का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है। साक्षात्कार में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये ‘साक्षात्कार की तैयारी’ (interview preparation) शीर्षक का अध्ययन करें।


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