एम.पी.पी.एस.सी की रणनीति

एम.पी.पी.एस.सी की रणनीति

   Kautilya Academy    06-09-2019

एम.पी.पी.एस.सी की रणनीति

रणनीति की आवश्यकता क्यों? 

  •  मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एम.पी.पी.एस.सी.), इंदौर द्वारा आयोजित परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करने के लिये उसकी प्रकृति के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
  • यह वह प्रथम प्रक्रिया है जिससे आप की आधी सफलता प्रारम्भ में ही सुनिश्चित हो जाती है।
  • ध्यातव्य है कि मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा सामान्यत: तीन चरणों (प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार) में आयोजित की जाती है, जिसमें प्रत्येक अगले चरण में पहुँचने के लिये उससे पूर्व के चरण में सफल होना आवश्यक है।
  • इन तीनों चरणों की परीक्षा की प्रकृति एक दूसरे से भिन्न होती है। अत: प्रत्येक चरण में सफलता सुनिश्चित करने के लिये  अलग-अलग रणनीति बनाने की आवश्यकता है।

प्रारम्भिक परीक्षा की रणनीति :

  •  विगत 5 से 10 वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गये प्रश्नों का सूक्ष्म अवलोकन करें और उन बिंदुओं तथा शीर्षकों पर ज्यादा ध्यान दें जिससे विगत वर्षों में प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति ज्यादा रही है।
  • प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ के पाठ्यक्रम में सामान्य विज्ञान एवं पर्यावरण, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की वर्तमान घटनाएँ, भारत का इतिहास एवं स्वतंत्र भारत, भारत का भूगोल एवं विश्व की सामान्य भौगोलिक जानकारी, भारतीय राजनीति एवं अर्थव्यवस्था, खेलकूद, मध्य प्रदेश का भूगोल, इतिहास एवं संस्कृति, मध्य प्रदेश की राजनीति एवं अर्थव्यवस्था, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा कुछ अधिनियम जैसे- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम) 1989, नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 एवं मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 सम्मिलित हैं। इसकी विस्तृत जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गई है।
  • इस परीक्षा के पाठ्यक्रम और विगत वर्षों में पूछे गये प्रश्नों की प्रकृति का सुक्ष्म अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि इसके कुछ खण्डों की गहरी अवधारणात्मक एवं तथ्यात्मक जानकारी अनिवार्य है। जैसे- ‘गदर पार्टी’ की स्थापना किसने की थी?  कंप्यूटर के किस भाग में स्मृतियों का संकलन होता है? मध्य प्रदेश का सबसे ऊँचा जलप्रपात कौन-सा है? इत्यादि ।
  • इन प्रश्नों को याद रखने और हल करने का सबसे आसान तरीका है कि विषय की तथ्यात्मक जानकारी से सम्बंधित संक्षिप्त नोट्स बना लिया जाए और उसका नियमित अध्ययन किया जाए जैसे– एक प्रश्न पूछा गया कि भारतीय संविधान में ‘संघवाद’ की अवधारणा किस देश से ली गई है? तो आप को भारतीय संविधान में विभिन्न देशों से ली गई प्रमुख अवधारणाओं की एक लिस्ट तैयार कर लेनी चाहिये ।
  • इस परीक्षा में पूछे जाने वाले विभिन्न अधिनियमों तथा संस्थाओं इत्यादि से सम्बंधित प्रश्नों के लिये भारत सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित ‘भारत’ (इण्डिया इयर बुक) का बाज़ार में उपलब्ध संक्षिप्त विवरण तथा दृष्टि वेबसाइट पर उपलब्ध सम्बंधित पाठ्य सामग्री एवं इंटरनेट की सहायता ली जा सकती है।
  • इस परीक्षा में खेल कूद, कंप्यूटर, समसामयिक घटनाओं एवं राज्य विशेष से पूछे जाने वाले प्रश्नों की आवृति ज्यादा होती है, अत: इनका नियमित रूप से गंभीर अध्ययन करना चाहिये।
  • ‘विज्ञान’ एवं कंप्यूटर’ आधारित प्रश्नों को हल करने के लिये ‘सामान्य विज्ञान-लूसेंट’ की किताब सहायक हो सकती है। साथ ही दृष्टि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित मानक मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ के ‘विज्ञान विशेषांक’ का अध्ययन करना अभ्यर्थियों के लिये लाभदायक रहेगा।
  • ‘समसामयिक घटनाओं’ एवं ‘खेलकूद’ के प्रश्नों की प्रकृति और संख्या को ध्यान में रखते हुए आप नियमित रूप से किसी दैनिक अख़बार जैसे- द हिन्दू , दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) इत्यादि के साथ-साथ दृष्टि वेबसाइट पर उपलब्ध करेंट अफेयर्स के बिन्दुओं का अध्ययन कर सकते हैं। इसके अलावा इस खंड की तैयारी के लिये मानक मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’  का अध्ययन करना लाभदायक सिद्ध होगा।
  • राज्य विशेष से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने में मध्य प्रदेश सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘मध्य प्रदेश राज्य विशेष’ या बाजार में उपलब्ध किसी मानक राज्य स्तरीय पुस्तक का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
  • द्वितीय प्रश्नपत्र ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ (सीसैट) केवल क्वालिफाइंग होता है। इसमें प्रश्नों की प्रकृति मैट्रिक स्तर की होती है। इसकी विस्तृत जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गई है।
  • सामान्य मानसिक योग्यता से सम्बंधित प्रश्नों का अभ्यास पूर्व में पूछे गए प्रश्नों को विभिन्न खंडों में वर्गीकृत करके किया जा सकता है।
  • एम.पी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान नहीं होने के कारण किसी भी प्रश्न को अनुत्तरित न छोड़ें  और अंत में शेष बचे हुए प्रश्नों को अनुमान के आधार पर हल करने का प्रयास करें।
  • प्रारम्भिक परीक्षा तिथि से सामान्यत: 15-20 दिन पूर्व प्रैक्टिस पेपर्स एवं विगत वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों  को निर्धारित समय सीमा (सामान्यत: दो घंटे) के अंदर हल करने का प्रयास करना लाभदायक होता है। इन प्रश्नों को हल करने से जहाँ विषय की समझ विकसित होती है, वहीं इन परीक्षाओं में दोहराव (रिपीट) वाले प्रश्नों को हल करना आसान हो जाता है।

मुख्य परीक्षा की रणनीति:

  • एम.पी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा की प्रकृति वर्णनात्मक/विश्लेषणात्मक होने के कारण इसकी तैयारी की रणनीति प्रारंभिक परीक्षा से भिन्न होती है।
  • प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति जहाँ क्वालिफाइंग होती है, वहीं मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम मेधा सूची में जोड़ा जाता है। अत: परीक्षा का यह चरण अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं काफी हद तक निर्णायक होता है।
  • सामान्य अध्ययन के प्रथम प्रश्नपत्र में ‘इतिहास एवं  संस्कृति’, ‘भूगोल’, ‘जल प्रबंधन’ तथा ‘आपदा एवं आपदा प्रबंधन’ से सम्बंधित टॉपिक्स सम्मिलित हैं, जिनका अभ्यर्थियों को मानक पुस्तकों के साथ अध्ययन करना एवं मुख्य परीक्षा के प्रश्नों की प्रकृति के अनुरूप संक्षिप्त बिन्दुवार नोट्स बनाना लाभदायक रहता है।
  • इतिहास विषय के अंतर्गत इस परीक्षा में विश्व के इतिहास को भी शामिल किया गया है, जिसका गहन अवलोकन एवं प्रश्नों की प्रकृति के अनुरूप उत्तर-लेखन ही अच्छे अंक दिलाने में सहायक होगा।
  • ‘आपदा एवं आपदा प्रबंधन’ विषय पर ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ के आपदा प्रबंधन विशेषांक की सामग्री परीक्षोपयोगी है।
  • सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्नपत्र में ‘संविधान, शासन की राजनैतिक एवं प्रशासनिक संरचना’, ‘बाह्य एवं आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे’, ‘सामाजिक एवं महत्त्वपूर्ण विधान’, ‘सामाजिक क्षेत्र, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सशक्तिकरण’, ‘शिक्षण प्रणाली’, ‘मानव संसाधन विकास’, ‘कल्याणकारी कार्यक्रम’, ‘लोक सेवाएँ’, ‘लोक व्यय एवं लेखा’ तथा ‘अन्तर्राष्ट्रीय संगठन’ सम्मिलित हैं।
  • इस प्रश्नपत्र के पाठ्यक्रम को मानक पुस्तकों तथा इंटरनेट की सहायता से तैयार किया जा सकता है। जैसे- भारतीय राजव्यवस्था एवं प्रशासन तथा सामाजिक समस्याओं पर मानक पुस्तकों का अध्ययन किया जा सकता है। अन्य पाठ्यक्रम के लिये इण्डिया इयर बुक (भारत) तथा इंटरनेट की सहायता ली जा सकती है।
  • सामान्य अध्ययन तृतीय प्रश्नपत्र में ‘विज्ञान एवं तकनीकी’, ‘तर्क एवं आँकड़ों की व्याख्या’, ‘विकासशील तकनीकी’, ‘ऊर्जा’, ‘पर्यावरण एवं धारणीय विकास’ एवं ‘भारतीय अर्थव्यवस्था’ शामिल हैं।
  • इस पाठ्यक्रम की मानक अध्ययन सामग्री ‘दृष्टि द विज़न संस्थान’, दिल्ली के ‘डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम’ (DLP) से प्राप्त की जा सकती है, जो इस प्रश्नपत्र एवं अन्य प्रश्नपत्रों से संबंधित पाठ्यक्रम की विस्तारपूर्वक अध्ययन-सामग्री की उपलब्धिता सुनिश्चित करेगा।
  • ‘तर्क एवं आँकड़ों की व्याख्या’ के लिये अंकगणित के अवधारणात्मक पहलुओं के साथ-साथ सांख्यिकी से सम्बंधित अवधारणाओं एवं प्रश्नों का अभ्यास अत्यंत आवश्यक है।
  • सामान्य अध्ययन का चतुर्थ प्रश्नपत्र मानवीय आवश्यकताओं एवं अभिप्रेरणाओं से संबंधित है। इसकी विस्तृत जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गई है।
  • इस प्रश्नपत्र के पाठ्यक्रम की सामग्री के लिये दृष्टि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ का ‘एथिक्स विशेषांक’ अभ्यर्थियों के लिये विशेष उपयोगी रहेगा। साथ ही सभी प्रश्नपत्रों से संबंधित प्रश्नों का उत्तर-लेखन अभ्यास, परीक्षा में प्रभावशाली प्रस्तुतिकरण  में सहायक रहेगा।
  • पंचम प्रश्नपत्र ‘सामान्य हिंदी’ से संबंधित है। इस प्रश्नपत्र का उद्देश्य अभ्यर्थी की भाषागत कौशल की जाँच करना है। इसके पाठ्यक्रम की विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति का संक्षिप्त विवरण’ के अंतर्गत ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गई है।
  • इस प्रश्नपत्र का स्तर स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण छात्रों के समकक्ष होगा। इसके लिये हिंदी की स्तरीय पुस्तक जैसे– वासुदेवनंदन, हरदेव बाहरी द्वारा लिखित पुस्तकों का गहराई से अध्ययन एवं उपरोक्त विषयों पर निरंतर लेखन कार्य करना लाभदायक रहेगा।
  • षष्ठम प्रश्नपत्र ‘हिन्दी निबंध लेखन’ का होगा। इसके अंतर्गत अभ्यर्थियों को तीन निबंध लिखने होंगे।

⇒ निबंध लेखन की रणनीति के लिये |

  • प्रथम निबंध (लगभग 1000 शब्दों में) के लिये 50 अंक, द्वितीय निबंध (लगभग 250 शब्दों में) के लिये 25 अंक एवं तृतीय निबंध (लगभग 250 शब्दों में) के लिये 25 अंक निर्धारित किया गया है।
  • निबंध को रोचक बनाने के लिये श्लोक, कविता, उद्धरण, महापुरुषों के कथन इत्यादि का प्रयोग किया जा सकता है। निबंध की तैयारी के लिये दृष्टि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘निबंध-दृष्टि’ का अध्ययन करना लाभदयक रहेगा।
  • उपरोक्त से स्पष्ट है कि मुख्य परीक्षा के समस्त पाठ्यक्रम का मध्य प्रदेश राज्य के सन्दर्भ में अध्ययन किया जाना लाभदायक रहेगा।
  • परीक्षा के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिये सामान्यत: 60-65% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। हालाँकि पाठ्यक्रम में बदलाव के कारण यह प्रतिशत कुछ कम भी हो सकता है।
  • परीक्षा के सभी विषयों में कम से कम शब्दों में की गई संगठित, सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलेगा।
  • विदित है कि वर्णनात्मक प्रकृति वाले प्रश्नपत्रों के उत्तर को उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है, अत: ऐसे प्रश्नों के उत्तर लिखते समय लेखन-शैली एवं तारतम्यता के साथ-साथ समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिये।
  • लेखन शैली एवं तारतम्यता का विकास निरंतर अभ्यास से आता है, जिसके लिये विषय की व्यापक समझ अनिवार्य है।

⇒ मुख्य परीक्षा में अच्छी लेखन शैली के विकास संबंधी रणनीति के लिये 

साक्षात्कार की रणनीति:

  • मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों (सामान्यत: विज्ञप्ति में वर्णित कुल रिक्तियों की संख्या का 3 गुना) को सामान्यत: एक माह पश्चात आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।
  • साक्षात्कार किसी भी परीक्षा का अंतिम एवं महत्त्वपूर्ण चरण होता है।
  • अंकों की दृष्टि से कम लेकिन अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में इसका विशेष योगदान होता है।
  • साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है।
  • वर्ष 2014 में एम.पी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 175 अंक निर्धारित किया गया (पूर्व में यह 250 अंकों का होता था)।
  • आपका अंतिम चयन मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर तैयार किये गए मेधा सूची के आधार पर होता है।
  • साक्षात्कार में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये ‘साक्षात्कार की तैयारी’ (interview preparation) शीर्षक का अध्ययन करें।

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