राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग: देश में चिकित्सा शिक्षा का सर्वोच्च नियामक अस्तित्व में आया

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग: देश में चिकित्सा शिक्षा का सर्वोच्च नियामक अस्तित्व में आया

   Kautilya Academy    26-09-2020

25 सितंबर, 2020 को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) ने अपना संचालन शुरू किया। इस आयोग ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह ले ली है। यह अब चिकित्सा शिक्षा और पेशे का सर्वोच्च नियामक है।


मुख्य बिंदु

नीति आयोग द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के द्वारा रीप्लेस किया गया है। इससे पहले, योजना आयोग ने भी इसी तरह की सिफारिशें की थीं।


राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग

इस आयोग में 33 सदस्य हैं। इसकी अध्यक्षता एक चेयरपर्सन द्वारा की जाती है जो एक चिकित्सा पेशेवर होंगे। साथ ही, आयोग में 10 पदेन सदस्य और 22 अंशकालिक सदस्य होंगे। आयोग के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं :

  • चिकित्सा पेशेवरों और चिकित्सा संस्थान को विनियमित करने के लिए नीतियां बनाना
  • स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों की आवश्यकताओं का आकलन करना
  • यह सुनिश्चित करना कि राज्य चिकित्सा परिषद नियमों और विनियमों का पालन कर रही हैं अथवा नही
  • निजी चिकित्सा संस्थानों की शुल्क संरचना निर्धारित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करना।

प्रमुख विशेषताऐं

चार स्वायत्त बोर्ड इस आयोग के तहत काम करेंगे। वे इस प्रकार हैं :

  • अंडरग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड
  • चिकित्सा मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड
  • स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा बोर्ड
  • नैतिक और चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड
  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के तहत, मेडिकल कॉलेजों को स्थापना और मान्यता के लिए केवल एक बार अनुमति लेनी होगी।नवीनीकरण की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
  • उल्लंघन का जुर्माना कुल वार्षिक शुल्क के 5 गुना से बढ़ाकर 10 गुना कर दिया गया है।

भारतीय चिकित्सा परिषद (Medical Council of India)

यह 1934 में स्थापित की गयी थी। इस वैधानिक निकाय पर कई चिंताएं व्यक्त की गई थीं। वे इस प्रकार हैं :

  • चिकित्सा शिक्षा, निरीक्षण, पाठ्यक्रम दिशानिर्देश, पाठ्यक्रम आदि में मानकों का खराब रखरखाव
  • चिकित्सा योग्यता की खराब मान्यता
  • डॉक्टरों के पंजीकरण की व्यवस्था और ऑल इंडिया मेडिकल रजिस्टर के रखरखाव में कई समस्याएँ थीं

कानून

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की स्थापना राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम के तहत की गई थी। इस अधिनियम ने स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा संस्थानों में भर्ती होने के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET) अनिवार्य कर दी।



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