गवर्नेंस 4.0 : वैश्विक शासन व्यवस्था में परिवर्तन की आवश्यकता

गवर्नेंस 4.0 : वैश्विक शासन व्यवस्था में परिवर्तन की आवश्यकता

   Kautilya Academy    31-01-2023

गवर्नेंस 4.0

गवर्नेंस क्या है?

सरल शब्दों में ' गवर्नेंस / शासन' निर्णय लेने की प्रक्रिया है और वह प्रक्रिया जिसके द्वारा इन निर्णयों को लागू किया जाता है। गवर्नेंस का उपयोग कई संदर्भों में किया जा सकता है जैसे अंतर्राष्ट्रीय शासन, राष्ट्रीय शासन, स्थानीय शासन या कॉर्पोरेट प्रशासन आदि।

 

संदर्भ: COVID के बाद से ही दुनिया में, नई चुनौतियाँ आने लगी हैं - जलवायु कार्रवाई की विफलता, संक्रामक रोगों का फिर से उभरना, ऋण संकट और अपर्याप्त तकनीकी Regulation, सामाजिक सामंजस्य का क्षरण होता दिखाई दे रहा है - इन सभी समस्याओं से उभरने लिए अलग गवर्नेंस मॉडल की आवश्यकता है।

 

गवर्नेंस के पिछले मॉडल:

 

गवर्नेंस 1.0

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद गवर्नेंस 1.0 की अवधि में, सार्वजनिक और कॉर्पोरेट प्रशासन दोनों को एक "मजबूत नेता" के शासन द्वारा चिह्नित किया गया था।

जहां सूचना की कीमत अधिक थी वहां इस प्रकार के नेतृत्व ने समाज के लिए अच्छा काम किया।

 

पदानुक्रमित प्रबंधन (Hierarchical management ) अपेक्षाकृत सुचारू रूप से कार्य करता है

तकनीक और आर्थिक विकास ने लगभग सभी को लाभान्वित किया।

 

गवर्नेंस 2.0

गवर्नेंस 2.0 मॉडल, जो 1960 के दशक के अंत में उभरा, इसने भौतिक संपदा की प्रधानता (primacy of material wealth) की पुष्टि की।

यह "शेयरधारक पूंजीवाद" ( shareholder capitalism ) और प्रगतिशील वैश्विक वित्तीयकरण ( financialization ) के उदय के साथ मेल खाता है।

जबकि 2008 के संकट ने इस मॉडल को झटका दिया, इसकी संकीर्ण दृष्टि ( narrow vision ) बना/बनी रही।

 

गवर्नेंस 3.0

गवर्नेंस 3.0 के दौरान ही COVID की शुरुआत हुई थी।

संकट प्रबंधन ( Crisis management ) को इस वक्त महत्वपूर्ण निर्णय लेने थे, नेताओं ने परिचालन संबंधी ( Operational issues ) मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया।

ट्रायल-एंड-एरर के दृष्टिकोण ने महामारी और उसके परिणामों के अव्यवस्थित प्रबंधन ( Haphazard management ) को जन्म दिया।

महामारी समाप्त होने के बाद, हमें एक नए गवर्नेंस मॉडल (4.0 संस्करण) की आवश्यकता थी।

 

नए गवर्नेंस मॉडल 4.0 की आवश्यकता:

चूंकि चौथी औद्योगिक क्रांति और जलवायु परिवर्तन वर्तमान जीवन को बाधित कर रहे हैं, इसलिए सार्वजनिक और कॉर्पोरेट प्रशासन को बदलने की जरूरत थी।

ब्लॉकचैन जैसी प्रौद्योगिकियां केंद्रीकृत संगठनों ( Centralized Organizations ) को विकेंद्रीकृत संस्थाओं ( Decentralized entities ) से बदल रही हैं, जबकि सामाजिक, आर्थिक और डिजिटल असमानताएं बढ़ रही हैं।

अभी के लिए, कई नेता गवर्नेंस 2.0 की शेयरधारक पूंजीवाद मानसिकता ( Shareholder Capitalism Mentality ) में फंसे हुए हैं, जबकि कुछ समाज अभी भी मजबूत नेतृत्व और गवर्नेंस 1.0 की संरचना के पक्ष में हैं। हालांकि, ये कोविड के बाद की दुनिया से निपटने के लिए काफी नहीं है।

 

गवर्नेंस 4.0 में क्या दृष्टिकोण होना चाहिए?

 

* दीर्घकालिक रणनीतिक सोच:

गवर्नेंस 4.0 को आज के अल्पकालिक प्रबंधन ( short-term management ) को दीर्घकालिक रणनीतिक सोच ( long-term strategic thinking ) से बदलना चाहिए।

महामारी, सामाजिक आर्थिक संकट और लोगों के मानसिक स्वास्थ्य जैसी समस्याओं पर ध्यान देने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और पर्यावरण क्षति से निपटने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए।

 

* टनल विजन और टॉप-डाउन एप्रोच को बदलें:

जैसा कि हम एक जटिल और परस्पर जुड़ी हुई दुनिया में रहते हैं, जो कि असमानताओं से भरी हुई है, समाज में प्रत्येक हितधारक की भूमिकाओं को बदलना होगा।

व्यवसाय ( Business ) अब इसके सामाजिक और पारिस्थितिक प्रभाव ( social and ecological impact ) को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता है।

 

* समाज पर प्रधानता :

अर्थशास्त्र की संकीर्ण अवधारणा और अल्पकालिक वित्तीय हितों पर जोर बंद होना चाहिए। इसके बजाय समाज और प्रकृति की प्रधानता किसी भी नई शासन प्रणाली के मूल में होनी चाहिए।

वित्त और व्यवसाय अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन उन्हें समाज और प्रकृति की सेवा करनी चाहिए, न कि इसके विपरीत।

 

गवर्नेंस 4.0 लंबी अवधि की योजना के साथ एक नया रास्ता तलाशेगा जो नई चुनौतियों से निपटने में सक्षम होगा।


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